छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC)

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) एक महत्वपूर्ण संस्थान है जो विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं का संचालन करता है, जिससे भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में प्रतिष्ठित सरकारी नौकरी नियुक्तियाँ होती हैं। निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए स्थापित, सीजीपीएससी विभिन्न सरकारी पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग का सामान्य परिचय

परिचय (Introduction):

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान ज़्यादातर अभ्यर्थी राज्य सिविल सेवा (पी.सी.एस.) परीक्षाओं में भी सम्मिलित होते हैं। यह प्रवृत्ति हिंदी भाषी राज्यों के अभ्यर्थियों में अधिकांशत: देखने को मिलती है। मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ मूल के अभ्यर्थियों के अलावा सिविल सेवा की तैयारी करने वाले अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों (विशेषकर हिंदी माध्यम) के लिये भी छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सी.जी.पी.एस.सी.), रायपुर द्वारा आयोजित परीक्षाएँ विकल्प होती हैं। प्रश्नों की प्रकृति एवं प्रक्रिया में अंतर होने के बावजूद सिविल सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के अध्ययन की सी.जी.पी.एस.सी. की इन परीक्षाओं में सार्थक भूमिका होती है। इसलिये सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र इन परीक्षाओं में भी सफल होते हैं।

आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाएँ:

  • छत्तीसगढ़ में राज्य आधारित सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, न्यायिक एवं अन्य अधीनस्थ सेवाओं का आयोजन मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सी.जी.पी.एस.सी.), रायपुर द्वारा किया जाता है।

  • इस आयोग द्वारा आयोजित सर्वाधिक लोकप्रिय परीक्षा ‘छत्तीसगढ़ राज्य सेवा परीक्षा’ है।

  • ‘छत्तीसगढ़ राज्य सेवा परीक्षा’ को प्रायः ‘सी.जी.पी.सी.एस.’ के नाम से भी जाना जाता है।

सी.जी.पी.सी.एस. परीक्षा- प्रकृति एवं प्रक्रिया

परीक्षा की प्रकृति:

  • आयोग द्वारा आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में सामान्यत: क्रमवार तीन स्तर सम्मिलित हैं-
    1. प्रारम्भिक परीक्षा– वस्तुनिष्ठ प्रकृति
    2. मुख्य परीक्षा- वर्णनात्मक प्रकृति
    3. साक्षात्कार- मौखिक

परीक्षा की प्रक्रिया

1. प्रारम्भिक परीक्षा की प्रक्रिया:

  • सर्वप्रथम आयोग द्वारा इन परीक्षाओं से सम्बंधित विज्ञप्ति जारी की जाती है। उसके पश्चात् ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू होती है। फॉर्म भरने की प्रक्रिया सम्बंधित विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति’ के अंतर्गत ‘ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?’ शीर्षक में दी गई होती है।

  • विज्ञप्ति में उक्त परीक्षा से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवरण दिया गया होता है। अत: फॉर्म भरने से पहले इसका अध्ययन करना लाभदायक रहता है।

  • फॉर्म भरने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सामान्यतः 2 से 3 माह पश्चात् प्रारम्भिक परीक्षा आयोजित की जाती है।

  • यह प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केन्द्रों पर सम्पन्न होती है।

  • आयोग द्वारा आयोजित इस प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) होती है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के लिये दिये गए चार संभावित विकल्पों (a, b, c एवं d) में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है।

  • प्रश्न से सम्बंधित इस चयनित विकल्प को आयोग द्वारा दिये गए ओएमआर सीट में उसके सम्मुख दिये गए सम्बंधित गोले (सर्किल) में उचित स्थान पर काले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है।

  • सी.जी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक गलत उत्तर के लिए सही उत्तर हेतु निर्धारित अंक का 1/3 अंक काटे जायेंगे।

  • प्रारम्भिक परीक्षा में कट-ऑफ का निर्धारण सिर्फ प्रथम प्रश्न पत्र अर्थात सामान्य अध्ययन में प्राप्त अंको के आधार पर किया जायेगा

  • यदि अभ्यर्थी किसी प्रश्न का एक से अधिक उत्तर देता है, तो उस उत्तर को गलत माना जाएगा, इस प्रकार दिये गए उत्तरों में से एक सही भी उत्तर हो, फिर भी उस प्रश्न के लिये उपरोक्तानुसार ही उसी तरह का दण्ड दिया जाएगा।

  • यदि अभ्यर्थी द्वारा कोई प्रश्न हल नहीं किया जाता है, अर्थात अभ्यर्थी द्वारा उत्तर नहीं दिया जाता है, तो उस प्रश्न के लिये कोई दण्ड नहीं होगा।

  • प्रश्नपत्र दो भाषाओं (हिंदी एवं अंग्रेजी) में दिये गए होते हैं, किसी भी शब्द/वाक्य में भाषा विवाद की स्थिति में हिंदी भाषा में लिखे शब्द/वाक्य को आधार माना जाएगा।

  • हिंदी भाषा ज्ञान और छत्तीसगढ़ी भाषा से सम्बंधित प्रश्न उसी भाषा में होंगे, इनका अनुवाद उपलब्ध नहीं होगा।

  • आयोग द्वारा वर्ष 2012 में इस प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति में बदलाव किया गया जिसके अनुसार द्वितीय प्रश्नपत्र में पूछे जाने वाले वैकल्पिक विषय (वस्तुनिष्ठ) के स्थान पर ‘योग्यता परीक्षण’ (एप्टिट्यूड टेस्ट) के प्रश्नपत्र को अपनाया गया।

  • वर्तमान में आयोग की इस प्रारम्भिक परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्नपत्र (सामान्य अध्ययन एवं योग्यता परीक्षण) पूछे जाते हैं, जिसकी परीक्षा एक ही दिन दो विभिन्न पारियों में दो-दो घंटे की समयावधि में सम्पन्न होती है। ‘योग्यता परीक्षण’ के प्रश्नपत्र को ‘सीसैट’ (सिविल सर्विस एप्टिट्यूड टेस्ट) के नाम से भी जाना जाता है।

  • यह प्रारम्भिक परीक्षा कुल 200 अंकों की होती है।

  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित हैं।

  • द्वितीय प्रश्नपत्र ‘योग्यता परीक्षण’ का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित हैं। द्वितीय प्रश्न पत्र क्वालीफाइंग पेपर के रूप में है।

  • इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 50-60% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम भी हो सकती है।

  • प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति क्वालिफाइंग होती है। इसमें प्राप्त अंकों को मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार के अंकों के साथ नहीं जोड़ा जाता है।

नोट:

  • प्रत्येक प्रश्नपत्र में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 33% अर्हकारी अंक तथा आरक्षित वर्ग एवं विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 23% अर्हकारी अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

  • द्वितीय प्रश्नपत्र योग्यता परीक्षा अर्हकारी प्रकृति की होगी। इस प्रश्न में अभिप्राप्त अंको को, मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यर्थीयों के चयन के लिए प्रावीण्य सूची तैयार करते समय नहीं जोड़ा जायेगा। प्रथम प्रश्न पत्र - सामान्य अध्ययन की प्रावीण्य सूची के आधार पर मुख्य परीक्षा के लिये अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा।

2.मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया:

  • प्रारम्भिक परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों के लिये मुख्य परीक्षा का आयोजन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केन्द्रों पर किया जाता है।

  • वर्ष 2018 में हुये नवीन संशोधन 13 फ़रवरी 2019 छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित पाठ्यक्रम के अनुसार अब इस मुख्य परीक्षा में सात अनिवार्य प्रश्नपत्र पूछे जाएंगे। जिसमें प्रथम दो प्रश्नपत्र क्रमशः 'भाषा' एवं 'निबन्ध' से तथा अन्य पाँच प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन ('इतिहास, संविधान एवं लोक प्रशासन', 'विज्ञान, प्रौद्योगिकी, योग्यता परीक्षण, तार्किक योग्यता व बुद्धिमत्ता एवं पर्यावरण', 'अर्थव्यवस्था एवं भूगोल', 'दर्शन एवं समाजशास्त्र’ तथा कल्याणकारी, विकासात्मक कार्यक्रम एवं कानून, अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल, घटनाए एवं संगठन एवं शैक्षणिक संस्थाए एवं मानव विकास) से सम्बंधित है| इसकी विस्तृत जानकारी 'विज्ञप्ति का संक्षिप्त विवरण' के अंतर्गत 'पाठ्यक्रम' शीर्षक में दी गई होती है।

  • मुख्य परीक्षा के प्रश्न परम्परागत प्रकार के लघु, मध्यम एवं दीर्घ उत्तरीय प्रकार के होते हैं। इसमें प्रश्नों के उत्तर की शब्द सीमा (30 शब्द, 60 शब्द, 100 शब्द, 125 शब्द एवं 175 शब्द) का ध्यान रखा जाता है। इन सभी प्रश्नों के उत्तर को आयोग द्वारा दिये गए उत्तर-पुस्तिका में अधिकतम तीन घंटे की समय सीमा में लिखना होता है।

  • मुख्य परीक्षा कुल 1400 अंकों की होती है जिसमें सभी प्रश्नपत्रों (7 प्रश्नपत्र) के लिये अधिकतम 200-200 अंक निर्धारित किया गया है।

  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘भाषा’ को छोड़कर अन्य सभी प्रश्नपत्रों का उत्तर अभ्यर्थी अपनी इच्छानुसार केवल हिंदी या अंग्रेजी में दे सकेंगे, किन्तु किसी भी प्रश्नपत्र का उत्तर अंग्रेजी और हिंदी में अंशत: नहीं दिया जा सकेगा।

  • द्वितीय प्रश्नपत्र (निबंध) में दो भाग (राष्ट्रीय स्तर की समस्याएँ एवं छत्तीसगढ़ राज्य की समस्याएँ) होंगे। अभ्यर्थी को प्रत्येक भाग से दिये गए चार-चार विकल्पों में से किसी दो-दो विकल्प का चयन कर समस्या-समाधान (कारण, वर्तमान स्थिति आँकड़ों सहित एवं समाधान) पर लगभग 750-750 शब्दों में कुल चार निबंध लिखना होगा।

  • तृतीय प्रश्नपत्र से लेकर सातवें प्रश्नपत्र तक प्रत्येक प्रश्नपत्र 5 खंडों में विभाजित होगा। इसमें प्रत्येक खंड से क्रमशः 30 शब्द, 60 शब्द, 100 शब्द, 125 शब्द एवं 175 शब्द के प्रश्न पूछे जाएंगे।

  • परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण यह प्रतिशत कुछ कम भी हो सकता है।

  • पूर्व की भाँति ही इन प्रश्नपत्रों में प्राप्त किये गए अंक मेधा सूची में जोड़े जाएंगे।

  • परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।

3.साक्षात्कार की प्रक्रिया:

  • मुख्य परीक्षा मे चयनित अभ्यर्थियों को सामान्यत: एक माह पश्चात् आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।

  • साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है यह प्रक्रिया अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार एक से अधिक दिनों तक चलती हैं।

  • सी.जी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 150 अंक निर्धारित किये गए हैं।

  • मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है।

  • सम्पूर्ण साक्षात्कार समाप्त होने के सामान्यत: एक सप्ताह पश्चात् अन्तिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की जाती है।

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छत्तीसगढ़ पीसीएस प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा का पाठ्यक्रम

A syllabus is a structured roadmap that outlines the topics, subjects, and areas of study required for a specific examination. It serves as a comprehensive guide for candidates, helping them understand what to study and prepare for during their exam journey. A well-structured syllabus not only provides clarity but also ensures that candidates cover all essential areas of knowledge necessary to excel in the exam.

Understanding the Syllabus – Your Path to Exam Success

Benefits of Syllabus Understanding:

  • Focused Preparation: By comprehending the syllabus, candidates can create a focused study plan that aligns with the exam's requirements.

  • Efficient Study: Knowing what to study and how much to study helps candidates utilize their study time effectively.

  • Reduced Stress: A clear syllabus reduces anxiety and stress, as candidates have a structured plan to follow.

  • Optimal Resource Selection: Candidates can choose the most suitable study materials, textbooks, and resources based on the syllabus's recommendations.

In conclusion, understanding the syllabus is a crucial aspect of exam preparation. It empowers candidates with the knowledge required to approach the examination systematically and confidently, increasing their chances of success. Therefore, taking the time to thoroughly grasp the syllabus is an essential step on the path to achieving excellence in any examination.

राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा

प्रश्न पत्र 1 - सामान्य अध्ययन :

भाग 01 ( सामान्य अध्ययन)- 50 प्रश्न (100 अंक)

  • भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन

  • भारत का भौतिक, सामाजिक और आर्थिक भूगोल

  • भारत का संविधान और राजनीति

  • भारतीय अर्थव्यवस्था

  • सामान्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी

  • भारतीय दर्शन, कला, साहित्य और संस्कृति

  • करेंट अफेयर्स और खेल

  • पर्यावरण

भाग 02 (छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान)- 50 प्रश्न (100 अंक)

  • छत्तीसगढ़ का इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन में छत्तीसगढ़ का योगदान।

  • भूगोल, जलवायु, भौतिक स्थिति, जनगणना, पुरातत्व और छत्तीसगढ़ के पर्यटन केंद्र।

  • साहित्य, संगीत, नृत्य, कला और संस्कृति, मुहावरे और कहावतें, पहेली(जनऊला), छत्तीसगढ़ का गायन (हाना)।

  • छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ, विशेष परंपराएँ, तीज और त्यौहार।

  • छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था, वन और कृषि।

  • प्रशासनिक संरचना, स्थानीय सरकार और छत्तीसगढ़ की पंचायती राज व्यवस्था।

  • छत्तीसगढ़ में उद्योग, छत्तीसगढ़ के ऊर्जा, जल और खनिज संसाधन।

  • छत्तीसगढ़ के करेंट अफेयर्स।

प्रश्न पत्र 2 - सामान्य अभिरुचि परीक्षण :

भाग 01–सामान्य हिंदी

  • भाषा बोध,

  • संक्षिप्त लेखन,

  • पर्यायवाची विलोम शब्द,

  • समोच्चरित शब्दो के अर्थ भेद,

  • वाक्यांश के लिए एक सार्थक शब्द,

  • संधि एवं संधि विच्छेद,

  • समासिक पद रचना एवं समास विग्रह,

  • तत्सम एवं तद्भव शब्द,

  • शब्द शुद्धि,

  • वाक्य शुद्धि

  • उपसर्ग एवं प्रत्यय

  • मुहावरे एवं लोकोक्तियां (अर्थ एवं प्रयोग)

  • पत्र लेखन

  • हिंदी साहित्य के इतिहास

  • इतिहास के काल विभाजन एवं नामकरण

  • छत्तीसगढ़ के साहित्यकार एवं उनकी रचनाएं

  • अपठित गद्यांश

  • शब्द युग्म

  • प्रारूप लेखन

  • विज्ञापन

  • प्रपत्र

  • परिपत्र

  • पृष्ठांकन

  • अधिसूचना

  • टिप्पणी लेखन

  • शासकीय अर्धशासकीय पत्र

  • प्रतिवेदन

  • पत्रकारिता

  • अनुवाद (हिंदी से अंग्रेजी तथा अंग्रेजी से हिंदी)

भाग 02–सामान्य अंग्रेजी

  • Comprehension

  • Precis Writing

  • Re-arrangement and Correction of Sentences

  • Synonyms

  • Antonyms

  • Filling the Blanks

  • Correction of Spellings

  • Vocabulary and usage

  • Idioms and Phrases

  • Tenses

  • Prepositions

  • Active Voice and Passive voice

  • Parts of Speech

भाग 03-छत्तीसगढ़ी भाषा

  • छत्तीसगढ़ भाषा का ज्ञान

  • छत्तीसगढ़ भाषा का इतिहास

  • वाक्य की बनावट

  • व्याकरण

राज्य सेवा मुख्य परीक्षा

प्रश्न पत्र 1 - भाषा :

(अंक 200, अवधि 3 घंटे)

सामान्य अभिरुचि परीक्षण - 100 प्रश्न (200 अंक)

  • बोधगम्यता

  • संचार कौशल सहित अंतर- वैयक्तिक कौशल

  • तार्किक कौशल एवं विश्लेषणात्मक क्षमता

  • निर्णय लेना एवं समस्या समाधान

  • सामान्य मानसिक योग्यता

  • आधारभूत संख्ययन ( संख्याएँ एवं उनके संबंध , विस्तार क्रम आदि- दसवीं कक्षा का स्तर) आँकडों का निर्वचन ( चार्ट , ग्राफ तालिका , आँकडों की पर्याप्तता आदि - दसवीं कक्षा : स्तर )

  • हिन्दी भाषा में बोधगम्यता कौशल ( दसवीं कक्षा का स्तर )

  • छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान

प्रश्न पत्र 2 - निबंध :

(अंक 200, अवधि 3 घंटे)

भाग 01: अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मुद्दे

उम्मीदवारों को इस भाग में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मुद्दों (कारण, वर्तमान स्थिति, डेटा और समाधान सहित) पर दो निबंध लिखने होंगे। इस भाग में उम्मीदवार को 4 प्रश्न दिये जिनमें से किन्हीं 2 विषयों पर उसे लगभग 750 शब्दों में दो निबंध लिखने होंगे। इस भाग के प्रत्येक निबंध हेतु 50 अंक होंगे।

भाग II: छत्तीसगढ़ राज्य से संबंधित मुद्दे:

उम्मीदवारों को इस भाग में छत्तीसगढ़ राज्य से संबंधित मुद्दों (कारण, वर्तमान स्थिति, डेटा और समाधान सहित) पर दो निबंध लिखने होंगे। इस भाग में उम्मीदवार को 4 प्रश्न दिये जाएँगे जिनमें से किन्हीं 2 विषयों पर उसे लगभग 750 शब्दों में दो निबंध लिखने होंगे। इस भाग के प्रत्येक निबंध हेतु 50 अंक होंगे।

प्रश्न पत्र -3 इतिहास, संविधान और लोक प्रशासन :

(अंक 200, अवधि 3 घंटे)

भाग 01–भारत का इतिहास

  • प्रागैतिहासिक काल

  • सिंधु सभ्यता

  • वैदिक सभ्यता

  • जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म

  • मगध साम्राज्य का उदय

  • मौर्य राज्य तथा अर्थव्यवस्था

  • गुप्त साम्राज्य

  • गुप्त- वाकाटक काल में कला

  • स्थापत्य, साहित्य तथा विज्ञान का विकास

  • दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश

  • मध्यकालीन इतिहास

  • सल्तनत एवं मुगल काल

  • विजयनगर राज्य

  • भक्ति आंदोलन

  • सूफीवाद

  • क्षेत्रीय भाषाओं में साहित्य का विकास

  • मराठों का अभ्युदय

  • यूरोपियों का आगमन तथा ब्रिटिश सर्वोच्चता स्थापित होने के कारक

  • ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार- युद्ध एवं कूटनीति

  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था- कृषि,

  • भू राजस्व व्यवस्था-स्थाई बंदोबस्त, रैयतवाड़ी, महालवाड़ी

  • हस्तशिल्प उद्योग का पतन

  • ईस्ट इंडिया कंपनी के रियासतों के साथ संबंध

  • प्रशासनिक संरचना में परिवर्तन

  • भू-राजस्व प्रणाली - स्थायी बंदोबस्त, रैयतवारी, महलवारी, हस्तशिल्प का पतन, राज्यों के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी का संबंध, प्रशासनिक संरचना में परिवर्तन, 1858 के बाद शहरी अर्थव्यवस्था, रेलवे का विकास, औद्योगीकरण

  • सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन- ब्रह्म समाज, आर्य समाज, प्रार्थना समाज, रामकृष्ण मिशन,

  • राष्ट्रवाद का उदय

  • 1857 की क्रांति

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना

  • बंगाल का विभाजन और स्वदेशी आंदोलन

  • होमरूल आंदोलन

  • गाँधीवादी आंदोलन

  • भारत छोड़ो आंदोलन

  • मजदूर किसान एवं आदिवासी आंदोलन

  • दलितों में सुधार आंदोलन

  • मुस्लिमों में सुधार आंदोलन

  • अलीगढ़ आंदोलन

  • आजाद हिंद फौज

  • स्वतंत्रता और भारत का विभाजन

  • रियासतों का विलीनीकरण।

भाग-2 संविधान एवं लोक प्रशासन:

  • भारत का संवैधानिक विकास (वर्ष 1773-1950)

  • संविधान का निर्माण एवं मूल विशेषताएँ- प्रस्तावना, संविधान की प्रकृति, मूलभूत अधिकार और कर्त्तव्य

  • संघ की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका।

  • संवैधानिक उपचार का अधिकार, जनहित याचिका, न्यायिक सक्रियता, न्यायिक समीक्षा।

  • महान्यायवादी।

  • राज्य कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका, महाधिवक्ता।

  • केंद्र-राज्य संबंध- विधायी, कार्यकारी और वित्तीय।

  • अखिल भारतीय सेवाएँ, संघ और राज्य लोक सेवा आयोग।

  • आपातकालीन प्रावधान, संवैधानिक संशोधन।

  • आधारभूत ढाँचेकी अवधारणा।

  • छत्तीसगढ़ राज्य - विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका।

  • लोक प्रशासन- अर्थ, कार्यक्षेत्र, प्रकृति और महत्त्व।

  • उदारीकरण के तहत लोक प्रशासन और निजी प्रशासन।

  • आधुनिक लोक प्रशासन, विकास प्रशासन और तुलनात्मक प्रशासन।

  • लोक प्रशासन में नए आयाम।

  • राज्य बनाम बाज़ार।

  • कानून का शासन।

  • संगठन- सिद्धांत, दृष्टिकोण और संरचना। प्रबंधन- नेतृत्त्व, नीति निर्धारण, निर्णय लेना।

  • प्रशासनिक प्रबंधन के उपकरण- समन्वय, प्रतिनिधिमंडल, संचार, अवलोकन और प्रेरणा।

  • प्रशासनिक सुधार।

  • सुशासन, ई-शासन।

  • नौकरशाही।

  • जिला प्रशासन।

  • भारत में प्रशासन पर नियंत्रण - संसदीय, वित्तीय न्यायिक और कार्यपालिका।

  • लोकपाल और लोकायुक्त।

  • सूचना का अधिकार।

  • पंचायतें और नगर पालिकाएं।

  • संसद-राष्ट्रपति, एकात्मक-संघीय सरकार।

  • शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत। छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक संरचना।

भाग-3 छत्तीसगढ़ का इतिहास:

  • छत्तीसगढ़ का इतिहास- वैदिक युग से गुप्त काल तक

  • प्रमुख राजवंश राजर्षि तुल्य कुल, नल, पांडू, सोमवंशी इत्यादि।

  • कलचुरी एवं उनका प्रशासन

  • मराठों के अधीन छत्तीसगढ़

  • ब्रिटिश संरक्षण में छत्तीसगढ़

  • छत्तीसगढ़ की पूर्व रियासतों एवं ज़मीदारी

  • सामंती राज

  • 1857 की क्रांति

  • छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता आंदोलन

  • श्रमिक, कृषक एवं जनजातीय आंदोलन

  • छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण।

भाग-1: सामान्य विज्ञान

रसायन विज्ञान:

  • रासायनिक अभिक्रिया की दर एवं रासायनिक साम्य–रासायनिक अभिक्रिया की दर का प्रारंभिक ज्ञान, तीव्र एवं मंद रासायनिक अभिक्रियाएँ।

  • धातुएँ– आवर्त सारणी में धातुओं की स्थिति एवं सामान्य गुण, धातु, खनिज अयस्क, खनिज एवं अयस्क में अंतर।

  • अम्ल और क्षार।

  • पीएच स्केल [सरल संख्यात्मक प्रश्न)।

  • एक्ज़ोथिर्मिक और एंडोथर्मिक प्रतिक्रियाएँ।

  • कुछ महत्त्वपूर्ण रासायनिक यौगिक - गुण और उपयोग। उत्पादन की विधि [पानी, वाशिंग सोडा, बेकिंग सोडा, ब्लीचिंग पाउडर और प्लास्टर ऑफ पेरिस]।

  • निर्माण सामग्री-चूना सीमेंट कांच और स्टील निर्माण।

  • धातु - आवर्त सारणी में धातुओं की स्थिति और सामान्य गुण।

  • खनिज अयस्क, खनिज और अयस्क के बीच अंतर।

  • धातुकर्म-गलाना, अयस्कों का शोधन।

  • तांबे और लोहे की धातु विज्ञान।

  • धातुओं का क्षरण।

  • मिश्र धातु।

  • अधातु - आवर्त सारणी में अधातुओं की स्थिति।

  • हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के भौतिक गुण और उपयोग।

  • कुछ महत्त्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक - अल्कोहल और एसिटिक एसिड तैयार करने की प्रयोगशाला विधि, गुण और कुछ सामान्य कृत्रिम पॉलिमर, पॉलिथीन, पॉलीविनाइल क्लोराइड का उपयोग करता है।

  • टेफ्लॉन साबुन और डिटर्जेंट।

भौतिक विज्ञान:

  • ऊर्जा के स्रोत - ऊर्जा के पारंपरिक और नए स्रोत, सौर ऊर्जा के स्रोत, सूर्य में ऊर्जा की उत्पत्ति के कारण, सौर ताप उपकरण, सौलर कूकर, सौर सेल, पवन ऊर्जा, बायोगैस, जीवाश्म ईंधन, आदर्श ईंधन और इसके गुण।

  • परमाणु ऊर्जा, परमाणु विखंडन, संलयन, श्रृंखला प्रतिक्रिया, परमाणु रिएक्टर, परमाणु ऊर्जा का उपयोग और नुकसान।

  • क्रेडा (CREDA) के बारे में सामान्य जानकारी। प्रकाश - प्रकाश के परावर्तन की प्रकृति, परावर्तन के नियम, समतल एवं वक्रता से परावर्तन, समतल, उत्तल एवं अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब रचना, फोकस दूरी तथा वक्रता त्रिज्या में संबंध

  • यू-वी-एफ संख्यात्मक उदाहरणों के बीच संबंध; प्रकाश का अपवर्तन - अपवर्तन के नियम, कांच के स्लैब द्वारा अपवर्तन, क्रांतिक कोण, पूर्ण आंतरिक परावर्तन, दैनिक जीवन में पूर्ण आंतरिक परावर्तन का उपयोग।

  • लेंस (अभिसारी और अपसारी लेंस)।

  • लेंस द्वारा स्पष्ट फोकल लंबाई ऑप्टिकल केंद्र छवि निर्माण।

  • मनुष्य की आँख, उसके दोष और उपाय।

  • फोटोग्राफिक कैमरा और मानव आँख के बीच तुलना।

  • सरल दूरबीन और खगोलीय दूरबीन।

  • निर्माण कार्य, उपयोग, किरण आरेख [कोई सूत्र व्युत्पत्ति नहीं]।

  • बिजली और उसके प्रभाव - विद्युत तीव्रता, क्षमता, संभावित अंतर, विद्युत प्रवाह ओम का नियम।

  • प्रतिरोध, विशिष्ट प्रतिरोध, प्रभावित करने वाले कारक, प्रतिरोधों का संयोजन एवं इसके आंकिक प्रश्‍न, विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव, इसकी उपयोगिता, शक्ति एवं विद्युत ऊर्जा व्यय की गणना (आंकिक) विद्युत प्रयोग में रखी जाने वाली सावधानियाँ, प्रकाश विद्युत प्रभाव, सोलर सेल, संरचना, P-N संधि, डायोड।

  • विद्युत प्रवाह के रासायनिक प्रभाव।

  • प्राथमिक और द्वितीयक सेल तथा उनके गुण और दोष।

  • लेक्लेंच सेल, ड्राई सेल, लेड संचायक सेल निर्माण।

  • करंट का चुंबकीय प्रभाव - करंट का चुंबकीय प्रभाव, ओर्स्टेड प्रयोग, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन, इलेक्ट्रिक मोटर, काम करने का सिद्धांत और जनरेटर का उपयोग, अल्टरनेटिंग करंट और डायरेक्ट करंट का सामान्य अध्ययन, गैसों में इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज, डिस्चार्ज ट्यूब, कैथोड किरणें, एक्स-रे और उनके गुण।

  • चुम्बकत्व - चुम्बक और उसके प्रकार, कृत्रिम चुम्बक, चुम्बक बनाने की विधियाँ, चुम्बकत्व का आणविक सिद्धांत, विचुंबकीकरण, चुम्बकीय रक्षक, बल की चुम्बकीय रेखाएँ और उनके गुण।

  • बल की रेखाओं को प्लॉट करना, स्थलीय चुंबकत्व, चुंबकीय तूफान। चुंबकीय मेरिडियन, भौगोलिक मेरिडियन, वीएचआई और θ के बीच संबंध

जीव विज्ञान

  • पशु पोषण - पोषण के प्रकार, स्वपोषी पोषण, विषमपोषी पोषण, होलोजोइक, परजीवी, मृतोपजीवी, सहजीवी, कीटभक्षी।

  • पोषण प्रक्रिया की महत्त्वपूर्ण शर्तें।

  • एककोशिकीय कोशिका जंतु [अमीबा] और बहुकोशिकीय जंतु टिड्डे में पाचन।

  • मानव पाचन तंत्र और पाचन प्रक्रिया।

  • प्रकाश संश्लेषण, प्रक्रिया के मुख्य चरण।

  • प्रकाश संश्लेषण परिभाषा एवं प्रक्रिया के प्रमुख पद, प्रकाश अभिक्रिया एवं अंधकार अभिक्रिया।

  • श्वसन परिभाषा, श्वसन के प्रकार, मनुष्य का श्वसन तंत्र एवं श्वसन प्रक्रिया।

  • परिवहन– पौधों में जल एवं खनिज लवण का परिवहन, जंतुओं में परिवहन रुधिर की संरचना तथा कार्य, रक्त वाहिकाओं की संरचना और कार्य [प्रारंभिक ज्ञान] रक्त की जमावट, रक्त समूह, रक्त आधान, रक्त बैंक , लसीका प्रणाली का कार्य। हृदय से संबंधित रोग।

  • उत्सर्जन - पौधों और उत्सर्जन, उत्सर्जित उत्पाद। पशुओं में उत्सर्जन और उनके उत्सर्जन अंग।

  • मनुष्य की उत्सर्जन प्रणाली और उत्सर्जन प्रक्रिया [सामान्य जानकारी], कृत्रिम किडनी डायलिसिस।

  • ऑस्मोरग्यूलेशन।

  • गुर्दे से संबंधित रोग।

  • नियंत्रण और समन्वय - पौधों और जानवरों में समन्वय।

  • मनुष्य का तंत्रिका तंत्र।

  • मानव मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की संरचना और कार्य, प्रतिवर्त क्रिया, अंतःस्रावी ग्रंथियां हार्मोन और उनके कार्य।

  • प्रजनन एवं वृद्धि- प्रजनन के प्रकार, अलैंगिक प्रजनन, विखंडन, मुकुलन एवं पुनरुदभवन, कृतिम वर्धी प्रजनन, वानस्पतिक प्रजनन, लेयरिंग, कटिंग, ग्राफ्टिंग, पार्थेनोजेनेसिस, पौधों में यौन प्रजनन, फूल की संरचना और प्रजनन प्रक्रिया [सामान्य जानकारी] परागण निषेचन।

  • मानव प्रजनन प्रणाली और प्रजनन प्रक्रिया।

  • आनुवंशिकता और विकास - आनुवंशिकता और भिन्नता। आनुवंशिकता गुणसूत्र और डीएनए [प्रारंभिक जानकारी] जीन का आधार।

  • लिंग निर्धारण जैविक विकास का प्रारंभिक ज्ञान [ओपेरिन का सिद्धांत केवल

भाग-2: योग्यता परीक्षण, तार्किक योग्यता एवं बुद्धिमता परीक्षण

  • परिमेय संख्याओं का जोड़ना, घटाना,गुणा करना, भाग देना

  • परिमेय संख्याओं के बीच परिमेय संख्या ज्ञात करना।

  • अनुपात एवं समानुपात- अनुपात एवं समानुपात की परिभाषा, योगानुपात, अंतर अनुपात, व्युत्क्र मानुपात आदि व उनके अनु प्रयोग

  • वाणिज्य गणित- बैंकिंग, बचत खाता, सावधि जमा खाता एवं आवर्ती जमा खाता पर ब्याज की गणना।

  • आयकर की गणना ( केवल वेतन भोगी के लिए तथा गृह भाड़ा भत्ता को छोड़कर)

  • गुणनखंड,

  • लघुत्तम समापवर्तक एवं महत्तम समापवर्तक

  • वैदिक गणित– जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग, विजांक से उत्तर की जांच।

  • वर्गमूल, वर्ग

  • घन, घनमूल

  • बीजगणित में वैदिक विधियों का प्रयोग आदि।

  • भारतीय गणितज्ञ एवं उनका कृतित्व- आर्यभट्ट, वराह मिहिर, ब्रह्मगुप्त, भास्कर आचार्य, श्रीनिवास रामानुजन के संदर्भ में।

  • गणितीय संक्रियाएं, मूल संख्यात्मक कार्य

  • आंकड़ों की व्याख्या- चार्ट, रेखांकन, तालिका, आंकड़ों के पर्याप्तता इत्यादि।

  • आंकड़ों का विश्लेषण

  • समांतर माध्य एवं माध्यिका

  • बहुलक

  • प्रायिकता, प्रायिकता के जोड़ पर आधारित प्रश्न

  • व्यावहारिक गणित- लाभ हानि प्रतिशत ब्याज एवं औसत।

  • समय गति, दूरी, नदी, नाम।

  • परीक्षण

  • विषम शब्द, शब्दों का विषम जोड़,

  • सांकेतिक भाषा परीक्षण, संबंधी परीक्षण, वर्णमाला परीक्षण, शब्दों का तार्किक विश्लेषण, छोटे हुए अंक या शब्द की प्रविष्टि, कथन एवं कारण

  • स्थिति प्रतिक्रिया परीक्षण

  • आकृति श्रेणी

  • तथ्यों का लुप्त होना

  • सामान्य मानसिक योग्यता।

भाग 3: एप्लाइड एवं व्यावहारिक विज्ञान

  • ग्रामीण भारत में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका

  • कंप्यूटर का आधारभूत ज्ञान, संचार एवं प्रसारण में कंप्यूटर

  • आर्थिक वृद्धि और टवेयर का विकास, IT के वृहद अनुप्रयोग

  • ऊर्जा संसाधन- ऊर्जा की मांग, ऊर्जा का नवीनीकरण और नवीनीकरण, ऊर्जा के स्रोत, नाभिकीय ऊर्जा का देश में विकास एवं उपयोगिता।

  • भारत में वर्तमान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का विकास, कृषि का उद्भव, कृषि विज्ञान में प्रगति एवं उसके प्रभाव, भारत में फसल विज्ञान, उर्वरक, कीट नियंत्रण एवं भारत में रोगों का परिदृश्य।

  • जैव विविधता एवं उसका संरक्षण- सामान्य परिचय- परिभाषा, अनुवांशिक प्रजात एवं पारिस्थितिकी तंत्र विविधता।

  • भारत का जैव भौगोलिक वर्गीकरण

  • जैव विविधता का महत्त्व विनाशकारी उपयोग, उत्पादक उपयोग, सामाजिक, नैतिक, वैकल्पिक दृष्टि से महत्त्व।

  • भारत एक वृहद विविधता वाले राष्ट्र के रूप में। जैव विविधता के हॉट स्पॉट।

  • भारत की विलुप्त होती तथा स्थानीय प्रजातियाँ।

  • जैव विविधता का संरक्षण

  • पर्यावरण प्रदूषण- कारण प्रभाव एवं नियंत्रण के उपाय- वायु प्रदूषण, जल, समुद्री प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, तापीय प्रदूषण, नाभिकीय प्रदूषण।

  • ठोस अपशिष्ट प्रबंध नगरीय एवं औद्योगिक ठोस कूड़े करकट का प्रबंधन: कारण, प्रभाव एवं नियंत्रण।

  • प्रदूषण के नियंत्रण में व्यक्ति की भूमिका।

प्रश्न पत्र -4 विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण

(अंक 200, अवधि 3 घंटे)

प्रश्न पत्र - 05 अर्थशास्त्र और भूगोल :

(अंक 200, अवधि 3 घंटे)

भाग 01 - भारत और छत्तीसगढ़ का अर्थशास्त्र

  • राष्ट्रीय और प्रति व्यक्ति आय, आर्थिक सुधार, मौद्रिक नीति, साक्षरता और व्यावसायिक संरचना, ग्रामीण विकास, बजट नीति, सहकारी समितियों की संरचना और विकास, बाल श्रम और महिला अधिकारिता।

  • छत्तीसगढ़ के संदर्भ में -

    • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग की जनसांख्यिकीय विशेषताएं और सामाजिक पिछड़ापन

    • वर्ग और अल्पसंख्यक।

    • साक्षरता और व्यावसायिक संरचना, आय के क्षेत्रीय वितरण में परिवर्तन और रोज़गार।

    • महिलाओं का सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सशक्तिकरण। बाल श्रम की समस्या।

    • राज्य की वित्त एवं बजटीय नीति, कर संरचना, केन्द्रीय कर में हिस्सेेदारी, राजस्व एवं पूंजी खाता में व्यय संरचना, उसी प्रकार योजना एवं गैर-योजनागत व्यय, सार्वजनिक ऋण की संरचना।

    • आंतरिक एवं विश्‍व बैंक के ऋण सहित बाह्य ऋण। छत्तीसगढ़ में ग्रामीण साख के संस्थागत एवं गैर-संस्थागत स्त्रोत। सहकारिता की संरचना एवं वृद्धि तथा कुल साख में उनके हिस्से, पर्याप्तता एवं समस्‍याएं।

भाग 02 – भारत का भूगोल

  • भारत की भौतिक विशेषताएं, स्थान और विस्तार, भूवैज्ञानिक संरचना, भौतिक विभाजन, जल निकासी प्रणाली, जलवायु, मिट्टी, वनस्पति और वन की नपुंसकता, भारतीय वन नीति, वन संरक्षण, मानव विशेषताएँ - जनसंख्या, जनगणना, जनसंख्या वृद्धि, घनत्व और वितरण।

  • जन्म दर, मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, प्रवासन, साक्षरता, व्यावसायिक संरचना, शहरीकरण।

  • कृषि - भारतीय कृषि की विशेषताएं, कृषि खाद्य फसलें, अनाज, दालें, तिलहन और अन्य फसलें, उत्पादन और वितरण, सिंचाई के साधन और इसका महत्त्व, कृषि का आधुनिकीकरण, कृषि और योजना की समस्याएं, सिंचाई बहुउद्देशीय परियोजनाएं, हरित क्रांति, श्वेत क्रांति , नीली क्रांति।

  • खनिज संसाधन- खनिज का भंडारण, उत्पादन और वितरण।

  • ऊर्जा संसाधन- कोयला, पेट्रोलियम, थर्मल पावर ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत।

  • उद्योग- भारत में उद्योगों का विकास और संरचना, बड़े पैमाने के मध्यम, छोटे और छोटे पैमाने के उद्योग, कृषि, वन और खनिज आधारित उद्योग।

भाग 03 - छत्तीसगढ़ का भूगोल

  • छत्तीसगढ़ की भौतिक विशेषताएं, स्थान और विस्तार, भूवैज्ञानिक संरचना, भौतिक प्रभाग, जल निकासी प्रणाली, जलवायु, मिट्टी, वनस्पति और वन्य जीवन, वन का महत्त्व, वन्य जीवन प्रबंधन प्रणाली, राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य, राज्य वन नीति, वन संरक्षण।

  • मानव विशेषताएँ - जनसंख्या, जनसंख्या वृद्धि, घनत्व और वितरण। मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, प्रवासन, लिंग अनुपात, आयु समूह, अनुसूचित जाति जनसंख्या साक्षरता, व्यावसायिक संरचना, शहरीकरण, परिवार कल्याण कार्यक्रम।

  • कृषि - कृषि खाद्य फसलें, अनाज, दलहन, तिलहन और अन्य फसलें, उत्पादन और वितरण, सिंचाई के साधन और इसका महत्त्व, महत्त्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाएं, कृषि की समस्या और किसानों के लिए राज्य योजना।

  • खनिज संसाधन- छत्तीसगढ़ में विभिन्न प्रकार के खनिज भंडारण, खनिज का उत्पादन एवं वितरण।

  • ऊर्जा संसाधन- कोयला, ताप विद्युत ऊर्जा, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत।

  • उद्योग- छत्तीसगढ़ में उद्योगों का विकास और संरचना, बड़े मध्‍यम, लघु एवं लघुत्‍तर क्षेत्र। कृषि, वन व खनिज आधारित उद्योग। परिवहन के साधन एवं पर्यटन।

प्रश्न पत्र - 06 दर्शनशास्त्र और समाजशास्त्र :

(अंक 200, अवधि 3 घंटे)

भाग-1: दर्शनशास्‍त्र

  • दर्शन का स्‍वरूप, धर्म एवं संस्‍कृति से उसका संबंध भारतीय दर्शन एवं पाश्‍चात्‍य दर्शन में अंतर,

  • वेद एवं उपनिषद्-ब्रह्मा, आत्‍मा, ऋत, गीता दर्शन-स्थितप्रज्ञ, स्‍वधर्म, कर्मयोग, चार्वाक दर्शन-ज्ञानमीमांसा, तत्‍त्‍वमीमांसा, सुखवाद, जैन दर्शन-जीव का स्‍वरूप, अनेकांतवाद, स्‍यादवाद, पंचमहाव्रत बौद्ध दर्शन-प्रतीत्‍यसमुत्‍पाद, अष्‍टांग मार्ग, अनात्‍मवाद, क्षणिकवाद, सांख्‍य दर्शन-सत्‍कार्यवाद, प्रकृति एवं पुरूष का स्‍वरूप, विकासवाद

  • योग दर्शन-अष्‍टांग योग, न्‍याय दर्शन-प्रमा, अप्रमा, असत्‍कार्यवाद, वैशेषिक दर्शन-परमाणुवाद, मीमांसा दर्शन-धर्म, अपूर्व का सिद्धान्‍त, अद्वैत वेदान्‍त-ब्रह्म, माया, जगत, मोक्ष, कौटिल्‍य-सप्‍तांग सिद्धान्‍त, मण्‍डल सिद्धान्‍त गुरूनानक

  • सामाजिक नैतिक चिन्‍तन, गुरू घासीदास-सतनाम पथ की विशेषताएं, वल्‍लभाचार्य-पुष्टिमार्ग, स्‍वामी विवेकानन्‍द-व्‍यावहारिक वेदान्‍त, सार्वभौम धर्म, श्री अरविन्‍द-समग्र योग, अतिमानस, महात्‍मा गांधी-अहिंसा, सत्‍याग्रह, एकादश व्रत, भीमराव अम्‍बेडकर-सामाजिक चिन्‍तन,

  • दीनदयाल उपाध्‍याय-एकात्‍म मानव दर्शन ,

  • प्‍लेटो-सदगुण, अरस्‍तू-कारणता सिद्धान्‍त, संत एन्‍सेल्‍म-ईश्‍वर सिद्धि हेतु सत्‍तामूलक तर्क, देकार्त-संदेह पद्धति, मैं सोचता हूँ, इसलिए मैं हूँ, स्पिनोजा-द्रव्‍य, सर्वेश्‍वरवाद, लाइब्‍नीत्‍ज-चिदणुवाद, पूर्व स्‍थापित सामंजस्‍य का सिद्धान्‍त लॉक-ज्ञानमीमांसा, बर्कले-सत्‍ता अनुभवमूलक है, ह्यूम-संदेहवाद, कांट-समीक्षावाद, हेगल-बोध एवं सत्‍ता, द्वन्‍द्वात्‍मक प्रत्‍ययवाद, ब्रेडले-प्रत्‍ययवाद, मूर-वस्‍तुवाद, ए.जे. एयर-सत्‍यापन सिद्धान्‍त, जॉन डिवी-व्‍यवहारवाद सार्त्र-अस्तित्‍ववाद, धर्म का अभिप्राय, धर्मदर्शन का स्‍वरूप, धार्मिक सहिष्‍णुता, पंथ निरपेक्षता, अशुभ की समस्‍या,

  • नैतिक मूल्‍य एवं नैतिक दुविधा, प्रशासन में नैतिक तत्त्व, सत्‍यनिष्‍ठा, उत्‍तरदायित्‍व एवं पारदर्शिता, लोक सेवकों हेतु आचरण संहिता,

  • भ्रष्‍टाचार-अर्थ, प्रकार, कारण एवं प्रभाव, भ्रष्‍टाचार दूर करने के उपाय,

  • व्हिसलब्‍लोअर की प्रासंगिकता।

भाग-2: समाजशास्‍त्र–(50 अंक )

  • अर्थ, क्षेत्र एवं प्रकृति, अध्‍ययन का महत्‍व, अन्‍य विज्ञानों से इसका संबंध।

  • प्राथमिक अवधारणाएँ-समाज, समुदाय, समिति, संस्‍था, सामाजिक समूह, जन रीतियाँ एवं लोकाचार।

  • व्‍यक्ति एवं समाज-सामाजिक अत: क्रियाऍं, स्थिति एवं भूमिका, संस्‍कृति एवं व्‍यक्तित्‍व, समाजीकरण।

  • हिन्‍दू सामाजिक संगठन-धर्म, आश्रम, वर्ण, पुरूषार्थ।

  • सामाजिक स्‍तरीकरण-जाति एवं वर्ग। सामाजिक प्रक्रियाऍं-सामाजिक अत: क्रिया, सहयोग, संघर्ष, प्रतिस्‍पर्धा।

  • सामाजिक नियंत्रण एवं सामाजिक परिवर्तन-सामाजिक नियंत्रण के साधन एवं अभिकरण।

  • सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएँ एवं कारक। भारतीय सामाजिक समस्‍याएँ सामाजिक विघटन, नियमहीनता, अलगाव, विषमता।

  • सामाजिक शोध एवं प्रविधियाँ-सामाजिक अनुसंधान का उद्देश्‍य, सामाजिक घटनाओं के अध्‍ययन में वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग, वस्‍तुनिष्‍ठता की समस्‍या, तथ्‍य संकलन की प्रविधियां एवं उपकरण-अवलोकन, साक्षात्‍कार, प्रश्‍नावली, अनुसूची।

भाग-3: छत्तीसगढ़ का सामाजिक परिदृश्‍य

  • जनजातीय सामाजिक संगठन, विवाह, परिवार, गोत्र, युवा, समूह, जनजातीय विकास-इतिहास कार्यक्रम व नीतियां-संवैधानिक व्‍यवस्‍था।

  • छत्‍तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजातियाँ, अन्‍य जनजातियाँ, अनुसूचित जातियाँ एवं अन्‍य पिछड़ा वर्ग की जातियाँ, छत्‍तीसगढ़ के जनजातियों में प्रचलित प्रमुख आभूषण एवं विशेष परंपराएँ, जनजातीय समस्‍याएँ : पृथक्‍करण, प्रवासन और परसंस्‍कृतिकरण।

  • छत्‍तीसगढ़ की लोक कला, लोक साहित्‍य एवं प्रमुख लोक कलाकार, छत्‍तीसगढ़ी लोकगीत, लोककथा, लोक नाट्य!

  • जनऊला मुहावरे, हाना, लोकोकृतियाँ।

  • छत्‍तीसगढ़ राज्‍य के साहित्‍य, संगीत एवं ललित कला के क्षेत्र में स्‍थापित संस्‍थाएँ, उक्‍त क्षेत्रों में छत्‍तीसगढ़ शासन द्वारा स्‍थापित सम्‍मान एवं पुरस्‍कार।

  • छत्‍तीसगढ़ की लोक संस्‍कृति, छत्‍तीसगढ़ राज्‍य के प्रमुख मेले तथा पर्व-त्‍यौहार, राज्‍य के पुरातात्विक संरक्षित स्‍मारक एवं स्‍थल तथा उत्‍खनित स्‍थल, छत्‍तीसगढ़ शासन द्वारा चिन्‍हांकित पर्यटन स्‍थल, राष्‍ट्रीय उद्यान, अभ्‍यारण्‍य और बस्‍तर के जलप्रताप एवं गुफाएँ, छत्‍तीसगढ़ के प्रमुख संत।

प्रश्न पत्र - 07 कल्याणकारी, विकासात्मक कार्यक्रम एवं कानून :

(अंक 200, अवधि 3 घंटे)

भाग-1: कल्याणकारी, विकासात्मक कार्यक्रम एवं कानून

  • सामाजिक एवं महत्त्वपूर्ण विधान– भारतीय समाज, सामाजिक बदलाव के एक साधन के रूप में सामाजिक विधान, मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम् 1993, भारतीय संविधान एवं आपराधिक विधि (दण्ड प्रक्रिया संहित) के अंतर्गत महिलाओं को प्राप्त सुरक्षा (सीआरपीसी),

  • घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम-2005, सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005,पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम् 1986 सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम-1988.

  • छत्तीसगढ़ के संदर्भ में : छत्तीसगढ़ में प्रचलित विभिन्‍न नियम/अधिनियम एवं उनके छत्तीसगढ़ के निवासियों पर कल्‍याणकारी एवं विकासात्मक प्रभाव।

  • छत्तीसगढ़ शासन की कल्‍याणकारी योजनाएं: छत्तीसगढ़ शासन द्वारा समय-समय पर प्रचलित कल्‍याणकारी, जनोपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण योजनायें।

भाग-2: अन्‍तर्राष्‍ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल, घटनाएँ एवं संगठन

संयुक्‍त राष्ट्र एवं उसके सहयोगी संगठन, अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष, विश्‍व बैंक एवं एशियाई बैंक, सार्क, ब्रिक्स अन्य द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय समूह, विश्‍व व्यापार संगठन एवं भारत पर इसके प्रभाव, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्‍ट्रीय खेल एवं प्रतियोगिताएँ।

भाग-3: अंतर्राष्‍ट्रीय एवं राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थाएँ एवं मानव विकास में उनका योगदान

कुशल मानव संसाधन की उपलब्‍धता, भारत में मानव संसाधन की नियोजिता एवं उत्पादकता, रोज़गार के विभिन्‍न चलन (ट्रेंडस) मानव संसाधन विकास में विभिन्‍न संस्थाओं परिषदें, उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग - रणनीति

रणनीति की आवश्यकता क्यों?

  • छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सी.जी.पी.एस.सी.), रायपुर द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है।

  • यह वह प्रथम प्रक्रिया है जिससे आप की आधी सफलता प्रारम्भ में ही सुनिश्चित हो जाती है।

  • ध्यातव्य है कि यह परीक्षा सामान्यत: तीन चरणों ( प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) में आयोजित की जाती है, जिसमें प्रत्येक अगले चरण में पहुँचने के लिये उससे पूर्व के चरण में सफल होना आवश्यक है।

  • इन तीनों चरणों की परीक्षा की प्रकृति एक दूसरे से भिन्न होती है। अत: प्रत्येक चरण में सफलता सुनिश्चित करने के लिये अलग-अलग रणनीति बनाने की आवश्यकता है।

प्रारम्भिक परीक्षा की रणनीति:

  • अन्य राज्य लोक सेवा आयोगों की भाँति छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा में भी प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकार की होती है।

  • प्रारम्भिक परीक्षा में अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिये सर्वप्रथम इसके पाठ्यक्रम का गहन अध्ययन करें एवं उसके समस्त भाग एवं पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुविधा एवं रुचि के अनुसार वरीयता क्रम निर्धारित करें।

  • विगत 5 से 10 वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन करें और उन बिंदुओं तथा शीर्षकों पर ज़्यादा ध्यान दें जिन पर विगत वर्षों में प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति ज़्यादा रही है।

  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ का पाठ्यक्रम मुख्यतः दो भागों में विभाजित है। प्रथम भाग में जहाँ परम्परागत सामान्य अध्ययन एवं समसामयिक घटनाओं से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं वहीं द्वितीय भाग में छत्तीसगढ़ के सामान्य ज्ञान एवं छत्तीसगढ़ की समसामयिक घटनाओं से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

  • इस प्रश्नपत्र में इन दोनों भागों से 50-50 प्रश्न शामिल किये जाते हैं। प्रत्येक प्रश्न 2 अंकों का होता है। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गई है।

  • इस परीक्षा के पाठ्यक्रम और विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति का सूक्ष्म अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि इसके कुछ खण्डों की गहरी अवधारणात्मक एवं तथ्यात्मक जानकारी अनिवार्य है। जैसे- ‘जैन धर्म का प्रथम तीर्थंकर कौन था? कौन सा हार्मोन गैसीय अवस्था में पाया जाता है? छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु क्या है? इत्यादि।

  • इन प्रश्नों को याद रखने और हल करने का सबसे आसान तरीका है कि विषय की तथ्यात्मक जानकारी से सम्बंधित संक्षिप्त नोट्स बना लिया जाए और उसका नियमित अध्ययन किया जाए जैसे– एक प्रश्न पूछा गया कि भारत का प्रमुख जिप्सम उत्पादक राज्य कौन सा है? ऐसे प्रश्नों के उत्तर के लिये भारत के प्रमुख खनिज उत्पादक राज्यों की एक लिस्ट तैयार कर लेनी चाहिये ।

  • इस परीक्षा में पूछे जाने वाले परम्परागत सामान्य अध्ययन के प्रश्न के लिये एनसीईआरटी की पुस्तकों का अध्ययन करना लाभदायक रहता है। साथ ही ‘दृष्टि वेबसाइट’ पर उपलब्ध सम्बंधित पाठ्य सामग्री एवं इंटरनेट की सहायता ली जा सकती है।

  • ‘विज्ञान एवं कंप्यूटर’ आधारित प्रश्नों को हल करने के लिये ‘सामान्य विज्ञान- लूसेंट’ की किताब सहायक हो सकती है। साथ ही ‘दृष्टि प्रकाशन’ द्वारा प्रकाशित ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ के ‘विज्ञान’ विशेषांक का अध्ययन करना अभ्यर्थियों के लिये लाभदायक रहेगा।

  • इस परीक्षा में जनगणना, समसामयिक घटनाओं एवं राज्य विशेष से पूछे जाने वाले प्रश्नों की आवृत्ति ज़्यादा होती है, अत: इनका नियमित रूप से गंभीर अध्ययन करना चाहिये।

  • ‘समसामयिक घटनाओं’ (राष्ट्रीय एवं छत्तीसगढ़ के सन्दर्भ में) की प्रकृति और संख्या को ध्यान में रखते हुए आप नियमित रूप से किसी दैनिक अख़बार जैसे - द हिन्दू, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) इत्यादि के साथ-साथ दृष्टि वेबसाइट पर उपलब्ध करेंट अफेयर्स के बिन्दुओं का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अलावा इस खंड की तैयारी के लिये मानक मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ का अध्ययन करना लाभदायक सिद्ध होगा।

  • राज्य विशेष से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ राज्य विशेष’ या बाज़ार में उपलब्ध किसी मानक राज्य स्तरीय पुस्तक का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।

  • द्वितीय प्रश्नपत्र ‘योग्यता परीक्षण’(सीसैट) का होता है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित है। इसके पाठ्यक्रम की विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति का संक्षिप्त विवरण’ के अंतर्गत ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दिया गया है।

  • सीसैट से सम्बंधित प्रश्नों का अभ्यास पूर्व में पूछे गए प्रश्नों को विभिन्न खंडो में वर्गीकृत करके किया जा सकता है।

  • सभी प्रश्नों के अंक समान होने तथा गलत उत्तर के लिये ऋणात्मक अंकन (Negative marking) के प्रावधान (प्रत्येक गलत उत्तर के लिए सही उत्तर हेतु निर्धारित अंक का 1/3 अंक काटे जायेंगे।) होने के कारण अभ्यर्थियों से अपेक्षा है कि तुक्का पद्धति से बचते हुए सावधानीपूर्वक प्रश्नों को हल करें क्योंकि निगेटिव मार्किंग उनके वास्तविक प्राप्तांक को भी कम कर सकती है।

  • प्रारम्भिक परीक्षा तिथि से सामान्यत: 15 -20 दिन पूर्व प्रैक्टिस पेपर्स एवं विगत वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को निर्धारित समय सीमा (सामान्यत: दो घंटे) के अंदर हल करने का प्रयास करना लाभदायक होता है। इन प्रश्नों को हल करने से जहाँ विषय की समझ विकसित होती है वहीं इन परीक्षाओं में दोहराव (रिपीट) वाले प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है।

  • इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 50-60% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम भी हो सकती है।

मुख्य परीक्षा की रणनीति:

  • सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक/विश्लेषणात्मक होने के कारण इसकी तैयारी की रणनीति प्रारंभिक परीक्षा से भिन्न होती है।

  • प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति जहाँ क्वालिफाइंग होती है वहीं मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम मेधा सूची में जोड़ा जाता है। अत: परीक्षा का यह चरण अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं काफी हद तक निर्णायक होता है।

  • वर्ष 2018 में हुये नवीन संशोधन 13 फ़रवरी 2019 छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित पाठ्यक्रम के अनुसार अब इस मुख्य परीक्षा में सात अनिवार्य प्रश्नपत्र पूछे जाएंगे। जिसमें प्रथम दो प्रश्नपत्र क्रमशः 'भाषा' एवं 'निबन्ध' से तथा अन्य पाँच प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन ('इतिहास, संविधान एवं लोक प्रशासन', 'विज्ञान,प्रौद्योगिकी, योग्यता परीक्षण, तार्किक योग्यता व बुद्धिमत्ता एवं पर्यावरण', 'अर्थव्यवस्था एवं भूगोल','दर्शन एवं समाजशास्त्र’ तथा कल्याणकारी, विकासात्मक कार्यक्रम एवं कानून, अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल, घटनाए एवं संगठन एवं शैक्षणिक संस्थाए एवं मानव विकास) से सम्बंधित है। इसकी विस्तृत जानकारी 'विज्ञप्ति का संक्षिप्त विवरण' के अंतर्गत 'पाठ्यक्रम' शीर्षक में दी गई होती है।

  • प्रथम प्रश्नपत्र के रूप में ‘भाषा’ को शामिल किया गया है। पाठ्यक्रम के अनुसार इसमें सामान्य हिंदी, सामान्य अंग्रेजी एवं छत्तीसगढ़ी भाषा से सम्बंधित प्रश्न होंगे। अत: अभ्यर्थियों को इन तीनों जानकारी आवश्यक है। पूर्व पाठ्यक्रम में भाषा प्रश्नपत्र में सामान्य संस्कृत भी शामिल था जिसे अब हटा दिया गया है।

  • प्रथम प्रश्नपत्र में पूर्व में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति से पता चलता है कि इसमें व्याकरण सम्बन्धी प्रश्नों की अधिकता होती है। अत: बाज़ार में उपलब्ध किसी मानक पुस्तक से इनका नियमित अध्ययन आवश्यक है।

  • द्वितीय प्रश्नपत्र के रूप में ‘निबंध’ को शामिल किया गया है। इसमें दो भाग (राष्ट्रीय स्तर की समस्याएँ एवं छत्तीसगढ़ राज्य की समस्याएँ) होंगे। प्रत्येक भाग से चार-चार समस्याएँ दी जाएंगी। इसमें अभ्यर्थी को कुल चार समस्याओं (प्रत्येक भाग से दो समस्या) पर निबंध (कारण, वर्तमान स्थिति आँकड़ों सहित एवं समाधान) लिखना होगा। प्रत्येक निबंध लगभग 750-750 शब्दों में लिखा जाएगा जिसके लिये 50-50 अंक (कुल 200 अंक) निर्धारित किया गया है।

  • निबंध का प्रश्नपत्र अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं निर्णायक होता है। निबंध को रोचक बनाने के लिये श्लोक, कविता, उद्धरण, महापुरुषों के कथन इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है।

  • तृतीय प्रश्नपत्र परम्परागत सामान्य अध्ययन से सम्बंधित है। इसमें भारत का इतिहास, भारत का स्वतंत्रता आन्दोलन, छत्तीसगढ़ का इतिहास एवं स्वतंत्रता आन्दोलन में छत्तीसगढ़ का योगदान से सम्बंधित प्रश्न होंगे। साथ ही, अभ्यर्थियों से भारत का संविधान एवं लोक प्रशासन से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे।

  • इसकी तैयारी के लिये अभ्यर्थियों को मानक पुस्तकों के अध्ययन के साथ-साथ मुख्य परीक्षा के प्रश्नों की प्रकृति के अनुरूप संक्षिप्त बिन्दुवार नोट्स बनाना लाभदायक रहेगा। गहन अवलोकन एवं प्रश्नों की प्रकृति के अनुरूप उत्तर-लेखन ही अच्छे अंक दिलाने में सहायक होगा।

  • चतुर्थ प्रश्नपत्र में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, योग्यता परीक्षण, तार्किक योग्यता व बुद्धिमत्ता एवं पर्यावरण’ से सम्बंधित प्रश्न होंगे। विज्ञान के अंतर्गत जहाँ रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान एवं जीव विज्ञान से सम्बंधित प्रश्न होंगे वहीं प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक पक्ष से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाएंगे, इसके अलावा पर्यावरण के अंतर्गत समुद्री प्रदूषण एवं जैव-विविधता से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे, साथ ही गणित एवं तार्किक योग्यता से सम्बंधित प्रश्न होंगे। गणित के अंतर्गत अंकगणित, बीजगणित, वाणिज्य गणित, निर्देशांक ज्यामिति एवं सांख्यिकी गणनाओं एवं ग्राफ से सम्बंधित प्रश्न एवं तार्किक योग्यता एवं कम्प्यूटर की गणनाओं से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे| इसके लिये गणित के अवधारणात्मक पहलूओं के साथ-साथ सांख्यिकी से सम्बंधित प्रश्नों का अभ्यास अत्यंत आवश्यक है। विगत वर्षों में इस प्रश्नपत्र से पूछे गए प्रश्नों का खंडवार अध्ययन एवं प्रत्येक शीर्षक से सम्बंधित किसी स्तरीय किताब से अभ्यास करना लाभदायक रहेगा।

  • पंचम प्रश्नपत्र में अर्थव्यवस्था एवं भूगोल से सम्बंधित प्रश्न होंगे। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था एवं भारत में योजना एवं नियोजन के साथ-साथ छत्तीसगढ़ का भूगोल एवं अर्थव्यवस्था तथा छत्तीसगढ़ में कृषि, वन, उद्योग एवं प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे।

  • प्रश्नों की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम से स्पष्ट है कि इस प्रश्नपत्र में अभ्यर्थियों को भारतीय अर्थव्यवस्था एवं भूगोल का छत्तीसगढ़ के सम्बन्ध में अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।

  • षष्ठम प्रश्नपत्र में ‘दर्शन एवं समाजशास्त्र’ के प्रश्नपत्र को सम्मिलित किया गया है। इस प्रश्नपत्र में भारतीय दर्शन एवं योग तथा समाजशास्त्र के अध्ययन के साथ-साथ छत्तीसगढ़ राज्य की जनजातियाँ, कला एवं संस्कृति से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे

  • सी.जी.पी.एस.सी.की इस मुख्य परीक्षा में सातवें प्रश्नपत्र के रूप में एक नई पहल के अंतर्गत ‘कल्याणकारी, विकासात्मक कार्यक्रम एवं कानून, अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल, घटनाए एवं संगठन एवं शैक्षणिक संस्थाए एवं मानव विकास’ के प्रश्नपत्र को सम्मिलित किया गया है। इस प्रश्नपत्र में सामाजिक एवं महत्वपूर्ण विधान तथा अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल, घटनाए एवं संगठन के अध्ययन के साथ-साथ राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थाए एवं मानव विकास से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे। इसके अलावा इस प्रश्न पत्र में छत्तीसगढ़ में विभिन्न प्रचलित अधिनियम एवं योजनाओ से संबंधित प्रश्न भी होंगे।

  • सी.जी.पी.एस.सी. की इस मुख्य परीक्षा की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम का सूक्ष्म अवलोकन करने पर यह स्पष्ट होता है कि इसके समस्त पाठ्यक्रम का छत्तीसगढ़ राज्य के सन्दर्भ में अध्ययन किया जाना लाभदायक रहेगा।

  • छत्तीसगढ़ राज्य विशेष के अध्ययन के लिये कम-से-कम दो मानक पुस्तकों के आधार पर पाठ्यक्रम के प्रत्येक टॉपिक्स पर बिन्दुवार नोट्स बनाना अनुशंसनीय है।

  • छत्तीसगढ़ पीसीएस की संपूर्ण तैयारी (प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा) के लिये दृष्टि सीजीपीसीएस डीएलपी का अध्ययन करना अधिक लाभदायक रहेगा क्योंकि इस डीएलपी के बुकलेट्स आयोग के नवीन पाठ्यक्रम के अनुसार ही तैयार किये गए हैं साथ ही इसमें प्रश्नों के ट्रेंड एनालिसिस एवं अनुमानित प्रश्नों के समावेश होने से यह डीएलपी आपको भटकाव को दूर करते हुए सफलता के काफी नजदीक पहुँचाता है।

  • परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण यह प्रतिशत कुछ कम भी हो सकता है।

  • परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।

  • विदित है कि वर्णनात्मक प्रकृति वाले प्रश्नपत्रों के उत्तर को उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है, अत: ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखते समय लेखन शैली एवं तारतम्यता के साथ-साथ समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिये।

  • लेखन शैली एवं तारतम्यता का विकास निरंतर अभ्यास से होता है, जिसके लिये विषय की व्यापक समझ अनिवार्य है।

साक्षात्कार की रणनीति:

  • मुख्य परीक्षा मे चयनित अभ्यर्थियों (सामान्यत: विज्ञप्ति में वर्णित कुल रिक्तियों की संख्या का 3 गुना) को सामान्यत: एक माह पश्चात आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।

  • साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण चरण होता है।

  • अंकों की दृष्टि से कम लेकिन अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में इसका विशेष योगदान होता है।

  • साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है।

  • सी.जी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 150 अंक निर्धारित किये गए हैं।

  • आपका अंतिम चयन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर तैयार किये गए मेधा सूची के आधार पर होता है।

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग FAQs

प्रश्न - 1 : सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक परीक्षा में ‘छत्तीसगढ़ राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में कितने प्रश्न पूछे जाते हैं? इसकी तैयारी कैसे करें?

उत्तर : सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र में 'छत्तीसगढ़ राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में 50 प्रश्न पूछे जाते हैं। इस प्रश्नपत्र में कुल 100 प्रश्नों में से 50 प्रश्न केवल छत्तीसगढ़ राज्य विशेष के सन्दर्भ में पूछा जाना इस विषय की महत्ता को स्वयं ही स्पष्ट करता है।
‘छत्तीसगढ़ राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में छत्तीसगढ़ का इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य, परम्परा, भूगोल, अर्थव्यवस्था, प्रशासनिक ढाँचा, उद्योग, एवं समसामयिक घटनाओं से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
इसी प्रकार, प्रारम्भिक परीक्षा के पूरे पाठ्यक्रम का छत्तीसगढ़ राज्य के सन्दर्भ में अध्ययन करना लाभदायक रहता है। छत्तीसगढ़ राज्य विशेष के सन्दर्भ में बाज़ार में उपलब्ध किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न - 2 : ‘न्यूनतम अर्हकारी अंक’ (क्वालिफाइंग मार्क्स) क्या है? सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में इसका निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर : ‘न्यूनतम अर्हकारी अंक’ का अर्थ है- वे न्यूनतम अंक जिन्हें प्राप्त किये बिना कोई भी उम्मीदवार परीक्षा में सफल नहीं हो सकता है। सी.जी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में प्रत्येक प्रश्नपत्र में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 33% अर्हकारी अंक तथा आरक्षित वर्ग एवं विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 23% अर्हकारी अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। ‘न्यूनतम अर्हकारी अंक’ प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के लिये कट-ऑफ का निर्धारण किया जाता है। कट-ऑफ या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सफल घोषित किये जाते हैं और शेष असफल।

प्रश्न - 3 : सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा के दौरान प्रश्नों का समाधान किस क्रम में करना चाहिये? क्या किसी विशेष क्रम से लाभ होता है?

उत्तर : इसका उत्तर सभी के लिये एक नहीं हो सकता। अगर आप सामान्य अध्ययन एवं ‘योग्यता परीक्षण’ (सीसैट) के सभी शीर्षकों में सहज हैं और आपकी गति भी संतोषजनक है तो आप किसी भी क्रम में प्रश्न हल करके सफल हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर यही होता है कि जिस क्रम में प्रश्न आते जाएँ, उसी क्रम में उन्हें हल करते हुए बढ़ें। किन्तु अगर आपकी स्थिति इतनी सुरक्षित नहीं है तो आपको प्रश्नों के क्रम पर विचार करना चाहिये। ऐसी स्थिति में आप सबसे पहले, उन प्रश्नों को हल करें जो सबसे कम समय लेते हैं।
यदि आपकी छत्तीसगढ़ राज्य विशेष के सन्दर्भ में पकड़ अच्छी है तो आपको इससे सम्बंधित पूछे जाने वाले 50 प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिये क्योंकि उनमें समय कम लगेगा और उत्तर ठीक होने की संभावना ज़्यादा होगी। ये 50 प्रश्न हल करने के बाद आपकी स्थिति काफी मज़बूत हो चुकी होगी। इसके बाद, आप तेज़ी से वे प्रश्न हल करते चलें जिनमें आप सहज हैं और उन्हें छोड़ते चलें जो आपकी समझ से परे हैं। जिन प्रश्नों के संबंध में आपको लगता है कि वे पर्याप्त समय मिलने पर किये जा सकते हैं, उन्हें कोई निशान लगाकर छोड़ते चलें।
सीसैट के प्रश्नपत्र में भी यही प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। अर्थात उन प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिये जिसमें समय कम लगता हो और उत्तर ठीक होने की संभावना ज़्यादा होती हो।
एक सुझाव यह भी हो सकता है कि एक ही प्रकार के प्रश्न लगातार करने से बचें। अगर आपको ऐसा लगे तो बीच में ‘तार्किक विवेचन’ एवं गणित के कुछ सवाल हल कर लें उसके बाद अन्य प्रश्नों को हल करें। सभी प्रश्नों के अंक समान होने तथा गलत उत्तर के लिये ऋणात्मक अंकन (Negative marking) के प्रावधान (प्रत्येक गलत उत्तर के लिए सही उत्तर हेतु निर्धारित अंक का 1/3 अंक काटे जायेंगे।) होने के कारण अभ्यर्थियों से अपेक्षा है कि तुक्का पद्धति से बचते हुए सावधानीपूर्वक प्रश्नों को हल करें।

प्रश्न - 4 : सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में समय-प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है। उसके लिये क्या किया जाना चाहिये?

उत्तर : पिछले प्रश्न के उत्तर में दिये गए सुझावों पर ध्यान दें। उसके अलावा, परीक्षा से पहले मॉक टेस्ट शृंखला में भाग लें और हर प्रश्नपत्र में परीक्षण करें कि किस वर्ग के प्रश्न कितने समय में हो पाते हैं। ज़्यादा समय लेने वाले प्रश्नों को पहले ही पहचान लेंगे तो परीक्षा में समय बर्बाद नहीं होगा। बार-बार अभ्यास करने से गति बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न - 5 : सी.जी.पी.एस.सी. की इस प्रारंभिक परीक्षा में ऋणात्मक अंक के प्रावधान होने का क्या अर्थ है? यह किस प्रकार लागू किया जाता है?

उत्तर : ऋणात्मक अंक के प्रावधान का अर्थ है- प्रश्नों के गलत उत्तर देने पर कुछ अंक दण्ड स्वरुप कम किया जाना। सी.जी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये ऋणात्मक अंकन (Negative marking) का प्रावधान किया गया है। अर्थात प्रत्येक गलत उत्तर के लिए सही उत्तर हेतु निर्धारित अंक का 1/3 अंक काटे जायेंगे।

प्रश्न - 6 : कट-ऑफ' क्या है? इसका निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर : ‘कट-ऑफ’ का अर्थ है- वह न्यूनतम अंक जिसे प्राप्त करके कोई उम्मीदवार परीक्षा में सफल होता है। सी.जी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में हर वर्ष प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार के परिणाम में ‘कट-ऑफ’ तय की जाती है। ‘कट-ऑफ’ या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सफल घोषित किये जाते हैं और शेष असफल। आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत यह कट-आॉफ भिन्न-भिन्न वर्गों के उम्मीदवारों के लिए भिन्न-भिन्न होती हैं।
प्रारंभिक परीक्षा में ‘कट-ऑफ’ का निर्धारण प्रथम प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर किया जाता है।
‘कट-ऑफ’ की प्रकृति स्थिर नहीं है। इसमें हर साल उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसका निर्धारण सीटों की संख्या, प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर तथा उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता जैसे कारकों के आधार पर होता है। अगर प्रश्नपत्र सरल होंगे, या उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता ऊँची होगी तो कट-ऑफ बढ़ जाएगा और विपरीत स्थितियों में अपने आप कम हो जाएगा।

प्रश्न - 7 : सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक परीक्षा में गणित से कितने प्रश्न पूछे जाते हैं? मैं शुरू से गणित में कमज़ोर हूँ, क्या मैं इस परीक्षा में सफल हो सकता हूँ?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा के द्वितीय प्रश्नपत्र (योग्यता परीक्षण) में ‘सामान्य गणितीय कौशल एवं सामान्य मानसिक योग्यता’ से लगभग 15 -20 प्रश्न पूछे जाते हैं जो मुख्यतः मैट्रिक स्तर के होते हैं। इन प्रश्नों की प्रकृति साधारण होती है अत: थोड़ा प्रयास करने से हल हो जाते हैं। हो सके तो तार्किक विवेचन में कुछ ऐसे टॉपिक तैयार कर लीजिये जो आपको समझ में आते हैं और जिनसे प्रायः सवाल भी पूछे जाते हैं। उदाहरण के लिये, अगर आप सारणीयन (tabulation) और पाई-चित्र (pie diagram) का अभ्यास कर लेते हैं तो 5-8 प्रश्न आसानी से ठीक कर लेंगे। अत: गणित में कमजोर होने के बावजूद इनका अभ्यास करके आप आसानी से आधे से अधिक प्रश्नों को सही कर सकते हैं।

प्रश्न - 8 : क्या सभी प्रश्नों के उत्तर को ओ.एम.आर. शीट पर एक साथ भरना चाहिये या उत्तर चयन के साथ-साथ भरते रहना चाहिये?

उत्तर : बेहतर होगा कि 4-5 प्रश्नों के उत्तर निकालकर उन्हें शीट पर भरते जाएँ। हर प्रश्न के साथ उसे ओ.एम.आर. शीट पर भरने में ज़्यादा समय खर्च होता है। दूसरी ओर, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कई उम्मीदवार अंत में एक साथ ओ.एम.आर. शीट भरना चाहते हैं पर समय की कमी के कारण उसे भर ही नहीं पाते।
ऐसी दुर्घटना से बचने के लिये सही तरीका यही है कि आप 4-5 प्रश्नों के उत्तरों को एक साथ भरते चलें। सीसैट के प्रश्नों में प्रायः एक अनुच्छेद या सूचना के आधार पर 5-6 प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसी स्थिति में वे सभी प्रश्न एक साथ कर लेने चाहिये और साथ ही ओ.एम आर. शीट पर भी उन्हें भर दिया जाना चाहिये। चूँकि गोलों को काले या नीले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है, अत: उन्हें भरते समय विशेष सावधानी रखें। व्हाइटनर का प्रयोग कदापि न करें।

प्रश्न - 9 : क्या ‘मॉक टेस्ट’ देने से प्रारम्भिक परीक्षा में कोई लाभ होता है? अगर हाँ, तो क्या ?

उत्तर : प्रारम्भिक परीक्षाओं के लिये मॉक टेस्ट देना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है। इसका पहला लाभ यह है कि आप परीक्षा में होने वाले तनाव (Anxiety) पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं। दूसरे, समय प्रबंधन की क्षमता बेहतर होती है। तीसरे, अलग-अलग परीक्षाओं में आप यह प्रयोग कर सकते हैं कि प्रश्नों को किस क्रम में करने से आप सबसे बेहतर परिणाम तक पहुँच पा रहे हैं। इन प्रयोगों के आधार पर आप अपनी परीक्षा संबंधी रणनीति निश्चित कर सकते हैं। चौथा लाभ है कि आपको यह अनुमान होता रहता है कि अपने प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में आपका स्तर क्या है? ध्यान रहे कि ये सभी लाभ तभी मिलते हैं अगर आपने मॉक टेस्ट शृंखला का चयन भली-भाँति सोच-समझकर किया है।

प्रश्न - 10 : मैं हिंदी व्याकरण में शुरू से ही अपने को असहज महसूस करता हूँ, क्या मैं सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में सफल हो पाऊँगा?
उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में प्रथम प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है जिसमें ‘सामान्य हिंदी’ के संबंध में कुल 100 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है। इसके पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से बोध, संक्षिप्त लेखन एवं व्याकरण (पर्यावाची, मुहावरा, संधि, समास, तत्सम इत्यादि ) इत्यादि शामिल हैं। सच यह है कि हिंदी व्याकरण के यह प्रश्न काफी आसान होते हैं और एक सामान्य विद्यार्थी भी इसका नियमित अभ्यास करके औसत अंक प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिये बाज़ार में उपलब्ध हिंदी व्याकरण की किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न - 11 : मैं अंग्रेज़ी में शुरू से ही कमजोर हूँ, क्या मैं सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में सफल हो पाऊँगा?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। मुख्य परीक्षा में प्रथम प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है जिसमें ‘सामान्य अंग्रेज़ी’ के संबंध में कुल 50 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है। इसके पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से अंग्रेजी व्याकरण, कॉम्प्रिहेंशन, ट्रांसलेशन, प्रेसी राइटिंग, लेटर राइटिंग, इत्यादि शामिल हैं। सच तो यह है कि ये प्रश्न बहुत ही आसान भाषा में दिये गए होते हैं और एक सामान्य विद्यार्थी भी इसका नियमित अभ्यास करके अच्छा अंक प्राप्त कर सकता है। इसके लिये बाज़ार में उपलब्ध ‘अंग्रेजी व्याकरण’ की किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न - 12 : मैं छत्तीसगढ़ राज्य का निवासी नहीं हूँ और न ही मुझे छत्तीसगढ़ी भाषा आती है, क्या मैं सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में सफल हो पाऊँगा?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। मुख्य परीक्षा में प्रथम प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है जिसमें ‘छत्तीसगढ़ी भाषा’ के संबंध में कुल 50 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है। इसके पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा का विकास, व्याकरण, प्रशासनिक शब्दकोष एवं साहित्य इत्यादि शामिल हैं। प्रथम प्रश्नपत्र कुल 200 अंकों का होता है, उसमें यदि छत्तीसगढ़ी भाषा (50 अंक) में थोड़े कम अंक भी प्राप्त होते हैं और शेष भाग में तुलनात्मक रूप से अच्छे अंक प्राप्त कर लिया जाए तो भी इस परीक्षा में आसानी से सफलता सुनिश्चित की जा सकती है। सच तो यह है कि छत्तीसगढ़ी भाषा के ये प्रश्न बहुत ही आसान भाषा में दिये गए होते हैं और एक सामान्य विद्यार्थी भी इसका नियमित अभ्यास करके अच्छा अंक प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिये बाज़ार में उपलब्ध छत्तीसगढ़ी भाषा, की किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न - 13 : सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में निबंध के प्रश्नपत्र की क्या भूमिका है? इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये क्या रणनीति अपनाई जानी चाहिये?

उत्तर : सीजीपीएससी की मुख्य परीक्षा में द्वितीय प्रश्नपत्र ‘निबंध लेखन’ से सम्बंधित है। इसमें दो भाग (राष्ट्रीय स्तर की समस्याएँ एवं छत्तीसगढ़ राज्य की समस्याएँ) होते हैं। प्रत्येक भाग से चार समस्याएँ दी जाती हैं। इसमें अभ्यर्थी को कुल चार समस्याओं (प्रत्येक भाग से दो समस्या) पर अधिकतम 3 घंटे की समयावधि में, आयोग द्वारा दिये गए उत्तर-पुस्तिका में निबंध (कारण, वर्तमान स्थिति आँकड़ों सहित एवं समाधान) लिखना होता है। प्रत्येक निबंध के लिये लगभग 750 शब्द सीमा एवं अधिकतम 50 अंक निर्धारित किया गया है। सीजीपीएससी की मुख्य परीक्षा में कुल 1400 अंकों में हिंदी निबंध के लिये 200 अंक निर्धारित होना इस विषय की महत्ता एवं अंतिम चयन में सहभागिता को स्वयं ही स्पष्ट करती है।
निबंध लेखन के माध्यम से किसी व्यक्ति की मौलिकता एवं व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है। वास्तव में निबंध लेखन एक कला है, जिसका विकास एक कुशल मार्गदर्शन में सतत् अभ्यास से किया जा सकता हैं। पूर्व में निबंध के लिये बाज़ार में कोई स्तरीय पुस्तक उपलब्ध नही होने के कारण इसके लिये अध्ययन सामग्री की कमी थी। लेकिन हाल ही में दृष्टि पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित‘निबंध-दृष्टि’ पुस्तक ने इस कमी को दूर कर दी है। इस पुस्तक में लिखे गए निबंध न केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से श्रेणी के अनुसार विभाजित हैं बल्कि प्रत्येक निबंध की भाषा-शैली एवं अप्रोच स्तरीय है। इसके अतिरिक्त इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये आप परीक्षा से पूर्व इससे सम्बंधित किसी मॉक टेस्ट शृंखला में सम्मिलित हो सकते है। अगर संभव हो तो ‘दृष्टि द विज़न संस्थान’, में चलाई जाने वाली निबंध की क्लास में भाग ले सकते हैं ।

प्रश्न - 14 : सी.जी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में साक्षात्कार की क्या भूमिका है? इसकी तैयारी कैसे करें?

उत्तर : सी.जी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 150 अंक निर्धारित किये गए हैं। चूँकि मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर ही अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है, इसलिये इस परीक्षा में अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में साक्षात्कार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। सी.जी.पी.एस.सी. के साक्षात्कार में आप सामान्य परिस्थितियों में आसानी से 40-70% अंक प्राप्त कर सकते हैं। यद्यपि साक्षात्कार इस परीक्षा का अंतिम चरण है, लेकिन इसकी तैयारी प्रारंभ से ही शुरू कर देना लाभदायक रहता है। वास्तव में किसी भी अभ्यर्थी के व्यक्तित्व का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है।